क़ि 'खांकसार' का इंतज़ाम क्या है,
'पनाह' तेरी क़ुबूल हुई तो जहनसीब हूँ मैं,
या फिर 'मुद्दत-ए-इंतज़ाम' क्या है?
तेरी 'महफ़िल-ए-सरफ़राज़'
का इक 'इंतज़ाम' हूँ मैं,
बता मेरे 'मुवक़िल-ए-क़ाफिरा' तेरा 'ईमान' क्या है!
मैने कोई अस्मत न लूटी है अब तलक,
'तलाक़' का इंतज़ाम' क्या है,
मैने की है 'बुत-परस्ती' मेरे यार की,
मेरा यार है 'कृष्ण' खुद,
अब बता मैं क्या करूँ!
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