Monday, 21 February 2011

अरमान

मेरी हथेली में सारी कायनात छुपी है,
खोल दे उसको और देख ले नज़ारे सारे,
मेरी बाँह में बसे है हर अरमान तिहारे,
लिपट जा उनसे और सारा आसमान सहेज ले,
चंद चाँद-तारे गर फिसल भी जायें अगर तो,
मार गोली उनको उनकी वजह से न तू 'गिला' ले,
मेरे पास कतार हैं इन जैसो की,
तू जब भी चाहे इन 'तारों' को घर पर खाने पर बुला ले!!!

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