खाली हाथ भरे ज़ज़्बात
This is a blog of my writings and thoughts.
Monday, 21 February 2011
मुझे
रकम तेरी 'मैहर' की मेरे काम न आएँगी,
हसीन की ऐसी बे-रूखी मुझको भी ना भाएँगी,
न पच पाएगी मुझको कायरों की बिसात,
तेरी मुझ पर की चुकी 'रहनूमाई' भी न रास आएगी,
क्या चाहता हूँ मैं तुझ से,
मैं खुद नहीं यक़ीनन,
पर मेरी 'तुझसे' नाफ़रमानी,
मुझको सच में 'सताएँगी'!!!
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