खाली हाथ भरे ज़ज़्बात
This is a blog of my writings and thoughts.
Sunday, 6 February 2011
हम क्या हैं!
वो हमें अपना 'ख्याब' मान बैंठे,
पर हमे पता है हम उस ख्वाब जैसे नहीं,
सब कुछ है हमारे पास,
मगर हम सच कहते हैं की 'पैसे' नहीं,
और वो 'प्यार','मुहब्ब्बत' गर था 'दिखावा',
तो 'लानत' मार मेरे पे मेरे यार अभी,
हम जो कुछ भी हों शुक्र है 'तेरे जैसे नहीं'!!!
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