Friday, 18 February 2011

मेरे आठ ज़ाम!

मेरे आठ ज़ाम!

पहला जाम मुझे फक़त छेड़ता है,
दूजा पहले का मुँह 'देखता' है!,
तीजा मुझे सुकून देता है,
चौथा किसी के 'चौथे' की याद में रोता है,
पाँचवा 'शायरी' को बरम-बार टोकता है,
छठा मुझे 'कुत्ता' बनाकर औरों पर 'भौंकता है',
सातवाँ मुझे मेरे यार की गोद में फैंकता है,
आठवाँ मुझे दिल ही दिल में 'दिलबर' के लिए,
'जिगर' जलाने से रोकता है!

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