Sunday, 5 September 2010

मेरे दिल ए 'बाज़ारू औरत'

मेरे दिल ए 'बाज़ारू औरत',
आइन्दा ऐसा पेश न आ,
जो तू तलाशता है 'हमनवा',
इस 'खुले' बाज़ार में,
'बच्चे दिल' तुझे क्या मालूम?
क़ि दिन ढलते ही,
बाज़ार, 'बेज़ार' नज़र आता है!

-अभिषेक बुंदेला

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