खाली हाथ भरे ज़ज़्बात
This is a blog of my writings and thoughts.
Sunday, 5 September 2010
गुल गुलशन गुलफाम
"बू-ए-गुल से अहल-ए-दिल मेरे,
चमन गुलज़ार हो गया,
'गुल-आफ्शनी' कर 'बेज़ार' कर दू इन्हे?
बता गुलफाम मेरे क्या ख्वाइश हैं तेरी,
'खियाबान' या 'पैरहाना-ए-लाला-ओ-गुल'!
मुझे शगुफ्तन-ए-गुल है नाज़!"
- अभिषेक बुंदेला
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