"हिंद की दहलीज़ 'दिल्ली',
दिल को बड़ी अज़ीज़ 'दिल्ली',
'मुगलो' का नूर,
'हज़रत' का सुरूर 'दिल्ली',
हर सुबह 'कामो-काज़',
हर शाम 'महफ़िल-ए-मिज़ाज़' 'दिल्ली',
'जन्नत' की एक 'हूर' 'दिल्ली',
'खुदी' में 'मगरूर' दिल्ली,
'भारत' का 'गुरूर' 'दिल्ली'!!!"
-अभिषेक बुंदेला
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