खाली हाथ भरे ज़ज़्बात
This is a blog of my writings and thoughts.
Sunday, 12 June 2011
अपनी
किसी ने ना जाना हमसे,
न बात किसी ने मानी अपनी,
किन हालातों में कट रही है,
बेगुनाह जवानी अपनी!
है मक़सद कोई नहीं,
कोई नहीं दीवानी अपनी,
फिर भी बेसुध 'ज़िंदा' हैं,
'ज़िंदा-दिली' है कहानीअपनी!
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